Monday, July 05, 2021


मंजिल तू हैं , और मैं रास्तों में भटक गया।


मंजिल तू हैं , और मैं रास्तों में भटक गया। 

भटका हुआ मुसाफिर हूँ, जरा चाय पीने ठहर गया। 

थोड़ा सब्र तो कर मेरे आने का, मैं तुझमें जो खो गया। 



सुना था फूल मिलेंगे रास्तो में, यहाँ तो काँटों का समंदर है,


क्या करे ये रास्ते भी, इन्हे भी तुमसे मोहब्बत हैं। 

मंजिल तू हैं , और मैं रास्तों में भटक गया। 


मैंने पूछा रास्तो से , क्या वजह है इन कांटो की,

उसने हँस कर कहा, जो वजह है गुलाब और कांटो की। 

भटका हुआ मुसाफिर हूँ, जरा चाय पीने ठहर गया। 

image of a scary man walking alone


कुछ दूर जाकर देखा, तो दरिया रो रहा था। 

क्या बताँऊ यारा, अपना दिल - ऐ  - हाल सुना रहा था। 

हुस्न से घायल करती तो बात कुछ और थी, 

मुस्कराहट ने उसकी क़त्ल - ऐ - आम कर दिया।  



देख कर इनके हाल को ,तेरे कातिल होने के सबूत मिले। 

मरना तो कम्बख्त हम भी चाहते हैं , जरा तेरा दीदार तो मिले। 

थोड़ा सब्र तो कर मेरे आने का, मैं तुझमें जो खो गया।


मंजिल तू हैं , और मैं रास्तों में भटक गया। 

भटका हुआ मुसाफिर हूँ, जरा चाय पीने ठहर गया।


                              ~ Deepanshu Rathore


Wednesday, March 31, 2021

 तू  सही  मैं  गलत , मैं  सही  तू  गलत 

बस  इसी  में  उलझी   रही  हमारे  प्यार  की  कसमकस।  


टूट  कर  चाहा  मैंने  तुझे , प्यार  माँगा  तो , गलत  मैं  था।  

छुपा  कर  रखना  चाहती  थी  तुम  हमारा  रिस्ता ,

मैंने  उजागर  करने  को  कहा  तो ,गलत  मैं   था।  

भरोसा  हर  दफा  तुमने  मेरा  तोडा ,

मैंने  सच  बोलने  को  कहा  तो , गलत  मैं  था ।

भुला  कर  अपना  आशियाना , मैंने  तेरा  आशियाना  सजाया।  

बारी   जब  मेरे  आशियाने  की  हुई  तो  ,गलत  मैं  था।  

तेरी  हर  ख़ुशी  में  जश्न  मैंने  मनाया ,

बारी  जब  मेरे  जश्न  की  आई  तो , गलत  मैं  था।  

तुम  आज़ाद  होना  चाहती  थी  बंदिशों  से , तुम्हे  खुद  में  कैद  करना  चाहा  तो  गलत  मैं  था।  

छोड़  कर  जाना  तुम  चाहती  थी , मैंने  समझाना  चाहा  तो , गलत  मैं   था।  

मुड़ कर  भी  नहीं  देखा  एक  दफा  तुमने , मैंने  रोकना  चाहा  तो  गलत  मैं  था।  



अब  हक़ीक़त  से  मुझसे  तुम  कोशो  दूर  हो ,और  सपनो  में  भी  तुम  मुँह  फेर  लेती हो।    

बेशक  तू  खुस  होगी  उसके  साथ ,

लेकिन  तेरे  रहने  का  अहसास  मुझे  आज  भी  है।  

काश  तुझसे  ये  कह  पता  मैं , तेरी  यादें  आकर  जख्म  को  ताज़ा  कर  देती  है 

और  मुझे  ऐसी  यादें  अक्सर  आती  रहती  है 

आज  फिर  तेरी  यादों  ने  घेरा  है  मुझे 

अफ़सोस  भी  है  अपनी  गलती  का 

और  दर्द  भी  है , तेरे  चले  जाने  का।  

                                                              ~ Deepanshu Rathore